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हफ़ीज़ जालंधरी के शेर
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
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टैग : कशमकश
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दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
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कोई चारह नहीं दुआ के सिवा
कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा
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टैग : दुआ
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वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया
जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके
तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके
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टैग : याद
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क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है
ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है
बात होती है मगर बात नहीं होती है
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टैग : मुलाक़ात
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देखा जो खा के तीर कमीं-गाह की तरफ़
अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई
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'हफ़ीज़' अपनी बोली मोहब्बत की बोली
न उर्दू न हिन्दी न हिन्दोस्तानी
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ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा
अब मैं दिल को क्या समझाऊँ मुझ को भी समझाता जा
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टैग : दिल
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जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदा
वही मेरा भी ख़ुदा हो मुझे मंज़ूर नहीं
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मुझ से क्या हो सका वफ़ा के सिवा
मुझ को मिलता भी क्या सज़ा के सिवा
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टैग : वफ़ा
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आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए
आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए
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टैग : मज़दूर
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मिरी मजबूरियाँ क्या पूछते हो
कि जीने के लिए मजबूर हूँ मैं
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टैग : मजबूरी
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दिल लगाओ तो लगाओ दिल से दिल
दिल-लगी ही दिल-लगी अच्छी नहीं
किस मुँह से कह रहे हो हमें कुछ ग़रज़ नहीं
किस मुँह से तुम ने व'अदा किया था निबाह का
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टैग : वादा
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इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था
कि इश्क़ भेज दिया जान-ए-मुब्तला के लिए
बे-तअल्लुक़ ज़िंदगी अच्छी नहीं
ज़िंदगी क्या मौत भी अच्छी नहीं
मुझे तो इस ख़बर ने खो दिया है
सुना है मैं कहीं पाया गया हूँ
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भुलाई नहीं जा सकेंगी ये बातें
तुम्हें याद आएँगे हम याद रखना
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टैग : याद
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दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूँ
तसव्वुर में भी अब वो बे-नक़ाब आते नहीं मुझ तक
क़यामत आ चुकी है लोग कहते हैं शबाब आया
अहबाब का शिकवा क्या कीजिए ख़ुद ज़ाहिर ओ बातिन एक नहीं
लब ऊपर ऊपर हँसते हैं दिल अंदर अंदर रोता है
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रंग बदला यार ने वो प्यार की बातें गईं
वो मुलाक़ातें गईं वो चाँदनी रातें गईं
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ज़िंदगी फ़िरदौस-ए-गुम-गश्ता को पा सकती नहीं
मौत ही आती है ये मंज़िल दिखाने के लिए
बुत-कदे से चले हो काबे को
क्या मिलेगा तुम्हें ख़ुदा के सिवा
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टैग : ख़ुदा
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हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो
हाए जिगर में दर्द है हाए जिगर को क्या करूँ
हम से ये बार-ए-लुत्फ़ उठाया न जाएगा
एहसाँ ये कीजिए कि ये एहसाँ न कीजिए
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टैग : एहसान
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हाँ मैं तो लिए फिरता हूँ इक सजदा-ए-बेताब
उन से भी तो पूछो वो ख़ुदा हैं कि नहीं हैं
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नहीं इताब-ए-ज़माना ख़िताब के क़ाबिल
तिरा जवाब यही है कि मुस्कुराए जा
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टैग : मुस्कुराहट
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कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया
चारागरों ने और भी दर्द दिल का बढ़ा दिया
इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी
ये मय है ख़ुद-कशीद इसे मुस्कुरा के पी
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दिल सभी कुछ ज़बान पर लाया
इक फ़क़त अर्ज़-ए-मुद्दआ के सिवा
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टैग : इज़हार
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अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल
कौन तिरी तरह 'हफ़ीज़' दर्द के गीत गा सके
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ब-ज़ाहिर सादगी से मुस्कुरा कर देखने वालो
कोई कम-बख़्त ना-वाक़िफ़ अगर दीवाना हो जाए
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टैग : सादगी
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हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना
दिल से दर्द उठता है पहले कि जिगर से पहले
उस की सूरत को देखता हूँ मैं
मेरी सीरत वो देखता ही नहीं
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ना-कामी-ए-इश्क़ या कामयाबी
दोनों का हासिल ख़ाना-ख़राबी
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टैग : हज़ार दास्तान-ए-इश्क़
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नासेह को बुलाओ मिरा ईमान सँभाले
फिर देख लिया उस ने उसी एक नज़र से
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सुपुर्द-ए-ख़ाक ही करना था मुझ को
तो फिर काहे को नहलाया गया हूँ
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ऐ 'हफ़ीज़' आह आह पर आख़िर
क्या कहें दोस्त वाह वा के सिवा
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टैग : आह
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मिरा तजरबा है कि इस ज़िंदगी में
परेशानियाँ ही परेशानियाँ हैं
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टैग : ज़िंदगी
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वफ़ा का लाज़मी था ये नतीजा
सज़ा अपने किए की पा रहा हूँ
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टैग : वफ़ा
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हमेशा के लिए ख़ामोश हो कर
नई तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ वाले ने मारा
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फिर दे के ख़ुशी हम उसे नाशाद करें क्यूँ
ग़म ही से तबीअत है अगर शाद किसी की
क़ाएम किया है मैं ने अदम के वजूद को
दुनिया समझ रही है फ़ना हो गया हूँ मैं
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यरान-ए-बे-बिसात कि हर बाज़ी-ए-हयात
खेले बग़ैर हार गए मात हो गई
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टैग : हार
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मिरे डूब जाने का बाइस न पूछो
किनारे से टकरा गया था सफ़ीना
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आशिक़ सा बद-नसीब कोई दूसरा न हो
माशूक़ ख़ुद भी चाहे तो उस का भला न हो
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आने वाले किसी तूफ़ान का रोना रो कर
ना-ख़ुदा ने मुझे साहिल पे डुबोना चाहा
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