शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम के शेर
अदा-ओ-नाज़ ओ करिश्मा जफ़ा-ओ-जौर-ओ-सितम
उधर ये सब हैं इधर एक मेरी जाँ तन्हा
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टैग : महबूब
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मैं जाँ-ब-लब हूँ ऐ तक़दीर तेरे हाथों से
कि तेरे आगे मिरी कुछ न चल सकी तदबीर
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टैग : क़िस्मत
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रात दिन यार बग़ल में हो तो घर बेहतर है
वर्ना इस घर के तो रहने से सफ़र बेहतर है
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इस क़दर की सर्फ़ तस्ख़ीर-ए-परी-रूयाँ में उम्र
रफ़्ता रफ़्ता नाम मेरा अब परी-ख़्वाँ हो गया
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किस तरह पहुँचूँ मैं अपने यार किन पंजाब में
हो गया राहों में चश्मों से दो-आबा बे-तरह
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ऐ मुसलमानो बड़ा काफ़िर है वो
जो न होवे ज़ुल्फ़-गीराँ का मुतीअ
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टैग : ज़ुल्फ़
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अभी मस्जिद-नशीन-ए-तारुम-ए-अफ़्लाक हो जावे
जो सब कुछ छोड़ दिल तेरे क़दम की ख़ाक हो जावे
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हमारी गुफ़्तुगू सब से जुदा है
हमारे सब सुख़न हैं बाँकपन के
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टैग : बांकपन
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जाँ-ब-लब था तो अयादत को भी आ जाते थे
मैं तो लो और बुरा हो गया अच्छा हो कर
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खुल गई जिस की आँख मिस्ल-ए-हबाब
घर को अपने ख़राब जाने है
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तू ने ग़ारत किया घर बैठे घर इक आलम का
ख़ाना आबाद हो तेरा ऐ मिरे ख़ाना-ख़राब
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टैग : दुआ
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है राह-ए-आशिक़ी तारीक और बारीक और सुकड़ी
नहीं कुछ काम आने की यहाँ ज़ाहिद तिरी लकड़ी
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जाने न पाए उस को जहाँ हो तहाँ से लाओ
घर में न हो तो कूचा ओ बाज़ार देखना
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गली में उस की न देखा कभू किसी को मगर
अजल-गिरफ़्ता कोई गाह गाह निकले है
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इश्क़ उस का आन कर यक-बारगी सब ले गया
जान से आराम सर से होश और चश्मों से ख़्वाब
देखूँ हूँ तुझ को दूर से बैठा हज़ार कोस
ऐनक न चाहिए न यहाँ दूरबीं मुझे
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टैग : तसव्वुर
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निगाहें जोड़ और आँखें चुरा टुक चल के फिर देखा
मिरे चेहरे उपर की शाह-ए-ख़ूबाँ ने नज़र सानी
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जो जी में आवे तो टुक झाँक अपने दिल की तरफ़
कि उस तरफ़ को इधर से भी राह निकले है
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टैग : दिल
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ख़ुम-ख़ाना मय-कशों ने किया इस क़दर तही
क़तरा नहीं रहा है जो शीशे निचोड़यए
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मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
उठो यारो भरो रंगों से झोली
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टैग : होली
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दर-ओ-दीवार-ए-चमन आज हैं ख़ूँ से लबरेज़
दस्त-ए-गुल-चीं से मबादा कोई दिल टूटा है
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'हातिम' उस ज़ालिम के अबरू को न छेड़
हाथ कट जावेगा ऐ नादाँ है तेग़
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मैं पीर हो गया हूँ और अब तक जवाँ है दर्द
मेरे मुरीद हो जो तुम्हें दोस्ताँ है दर्द
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शहर में चर्चा है अब तेरी निगाह-ए-तेज़ का
दो करे दिल के तईं ये नीमचा अंग्रेज़ का
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राह में ग़म-ज़दा-ए-इश्क़ को क्या टोको हो
अपनी हालत में गिरफ़्तार चला जाता है
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किस तरह से गुज़ार करूँ राह-ए-इश्क़ में
काटे है अब हर एक क़दम पर ज़मीं मुझे
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दे के दिल उस के हाथ अपने हाथ
हम ने सौदा किया है दस्त-ब-दस्त
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इश्क़ ने किश्वर-ए-दिल लूटा है
आ के आबाद करो बंदा-नवाज़
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इश्क़ की राह में मैं मस्त की तरह
कुछ नहीं देखता बुलंद और पस्त
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मेरे हवास-ए-ख़मसा उसे देख उड़ गए
क्यूँ कर ठहर सकें ये कबूतर थे पर गिरे
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कई फ़रहाद हैं जूया तिरे शीरीं लब के
कई यूसुफ़ हैं ज़नख़दान के चाहों के बीच
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समझते हम नहीं जो तुम इशारों बीच कहते हो
मुफ़स्सल को तो हम जाने हैं ये मुज्मल ख़ुदा जाने
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सौ बार तार तार किया तो भी अब तलक
साबित वही है दस्त ओ गरेबाँ की दोस्ती
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टैग : दोस्ती
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ये मसला शैख़ से पूछो हम इस झगड़े से फ़ारिग़ है
कि दाढी शहर में किस की बड़ी और किस की छोटी है
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मुल्क-ए-अदम से दहर के मातम-कदे के बीच
आया न कौन कौन कि रोना न रो गया
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मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतिज़ार है
मेरे आँसू के पोछने को मियाँ
तेरी हो आस्तीं ख़ुदा न करे
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टैग : आँसू
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क्या बड़ा ऐब है इस जामा-ए-उर्यानी में
चाक करने को कभी इस में गरेबाँ न हुआ
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टैग : गरेबान
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तब्अ तेरी अजब तमाशा है
गाह तोला है गाह माशा है
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इन दिनों सब को हुआ है साफ़-गोई का तलाश
नाम को चर्चा नहीं 'हातिम' कहीं ईहाम का
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आ कर तिरी गली में क़दम-बोसी के लिए
फिर आसमाँ की भूल गया राह आफ़्ताब
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ऐ ख़िरद-मंदो मुबारक हो तुम्हें फ़र्ज़ानगी
हम हों और सहरा हो और हैरत हो और दीवानगी
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चमन ख़राब किया, हो ख़िज़ाँ का ख़ाना-ख़राब
न गुल रहा है न बुलबुल है बाग़बाँ तन्हा
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मज़हर-ए-हक़ कब नज़र आता है इन शैख़ों के तईं
बस-कि आईने पर इन आहन-दिलों के ज़ंग है
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एक दिन पूछा न 'हातिम' को कभू उस ने कि दोस्त
कब से तू बीमार है और क्या तुझे आज़ार है
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टैग : अयादत
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तबीबों की तवज्जोह से मरज़ होने लगा दूना
दवा इस दर्द की बतला दिल-ए-आगाह क्या कीजे
पड़ी फिरती हैं कई लैला-ओ-शीरीं हर जा
पर कोई हाए यहाँ मजनूँ-ओ-फ़रहाद नहीं
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स्वाद-ए-ख़ाल के नुक़्ते की ख़ूबी
जो आशिक़ है सो तिल तिल जानता है
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हम छनालों की छोड़ दी यारी
नफ़्स को मार कर क्या मुर्दा
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मज्लिस में रात गिर्या-ए-मस्ताँ था तुझ बग़ैर
साग़र भरा शराब का चश्म-ए-पुर-आब था
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