अभिनंदन पांडे के शेर
ग़ौर से देखते रहने की सज़ा पाई है
तेरी तस्वीर इन आँखों में उतर आई है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सवाल आ गए आँखों से छिन के होंटों पर
हमें जवाब न देने का फ़ाएदा तो मिला
-
टैग : सवाल
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नस्ल-ए-आदम रफ़्ता रफ़्ता ख़ुद को कर लेगी तबाह
इतनी सख़्ती से क़यामत पेश आएगी न पूछ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दरमियाँ जो जिस्म का पर्दा है कैसे होगा चाक
मौत किस तरकीब से हम को मिलाएगी न पूछ
-
टैग : विसाल
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ुद-कुशी का फ़ैसला ये सोच कर हम ने किया
कौन करता ज़िंदगी का मौत से अच्छा इलाज
जब यहाँ रहने के सब अस्बाब यकजा कर लिए
तब खुला मुझ पर कि मैं दुनिया का बाशिंदा न था
खींच लाई जानिब-ए-दरिया हमें भी तिश्नगी
अब गुलू-ए-ख़ुश्क का ख़ंजर पे रम होने को है
चाहें तो इस को तेग़-ए-ख़मोशी से काट दें
लेकिन जुनूँ से जंग ज़बानी करेंगे हम
-
टैग : एटीट्यूड
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उस ने तो यूँ ही पूछ लिया था कि कोई है
महफ़िल में उठा शोर ब-यक-लख़्त कि हम हम
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं तिरे शोख़ लबों पर तो अभी आया हूँ
इस से पहले तिरी आँखों में सवालात सा था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड