लोकप्रिय शेर
सरल और मनपसंद शायरी का संग्रह
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
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टैग्ज़: इक़बाल डेऔर 3 अन्य
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
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टैग्ज़: इश्क़और 8 अन्य
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
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टैग्ज़: जन्नतऔर 4 अन्य
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
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टैग्ज़: उम्मीदऔर 5 अन्य
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
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टैग्ज़: इश्क़और 7 अन्य
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
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टैग्ज़: टॉप 10 रेख़्ताऔर 3 अन्य
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
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टैग्ज़: इक़बाल डेऔर 4 अन्य
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
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टैग्ज़: फ़ेमस शायरीऔर 2 अन्य
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
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टैग्ज़: क़िस्मतऔर 4 अन्य
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
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टैग्ज़: इश्क़और 4 अन्य
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
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टैग्ज़: अम्नऔर 5 अन्य
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
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टैग्ज़: जवानीऔर 4 अन्य
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
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टैग्ज़: दोस्तऔर 1 अन्य
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
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टैग्ज़: इक़बाल डेऔर 3 अन्य
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
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टैग्ज़: आरज़ूऔर 6 अन्य
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
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टैग्ज़: इश्क़और 4 अन्य
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन
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टैग्ज़: आगहीऔर 1 अन्य
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
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टैग्ज़: फ़ेमस शायरीऔर 2 अन्य
हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक
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टैग्ज़: तग़ाफ़ुलऔर 1 अन्य
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और
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टैग: तअल्ली
सुब्ह होती है शाम होती है
उम्र यूँही तमाम होती है
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टैग्ज़: फ़ेमस शायरीऔर 2 अन्य
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए
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टैग्ज़: तसव्वुरऔर 2 अन्य
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
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टैग्ज़: आहटऔर 3 अन्य
तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता
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टैग: दिल
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
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टैग्ज़: दोस्तऔर 1 अन्य
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
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टैग्ज़: ज़िंदगीऔर 1 अन्य
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
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टैग्ज़: फ़ेमस शायरीऔर 2 अन्य
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब'
कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था
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टैग्ज़: मीर तक़ी मीरऔर 1 अन्य
अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
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टैग्ज़: अदाऔर 1 अन्य
मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा
उस को छुट्टी न मिले जिस को सबक़ याद रहे
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टैग्ज़: इश्क़और 3 अन्य
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
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टैग्ज़: इश्क़और 2 अन्य
'ज़फ़र' आदमी उस को न जानिएगा वो हो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़का
जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा न रही जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न रहा
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टैग्ज़: आदमीऔर 1 अन्य
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
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टैग्ज़: इक़बाल डेऔर 5 अन्य
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से
इस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
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टैग्ज़: चराग़और 4 अन्य