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मिज़ाह पर हास्य शायरी

मिज़ाहिया शायरी बयकवक़्त

कई डाइमेंशन रखती है, इस में हंसने हंसाने और ज़िंदगी की तल्ख़ियों को क़हक़हे में उड़ाने की सकत भी होती है और मज़ाह के पहलू में ज़िंदगी की ना-हमवारियों और इन्सानों के ग़लत रवय्यों पर तंज़ करने का मौक़ा भी। तंज़ और मिज़ाह के पैराए में एक तख़्लीक़-कार वो सब कह जाता है जिसके इज़हार की आम ज़िंदगी में तवक़्क़ो भी नहीं की जा सकती। ये शायरी पढ़िए और ज़िंदगी के इन दिल-चस्प इलाक़ों की सैर कीजिए।

फ़िल्मी इश्क़

ज़रीफ़ जबलपूरी

अदीब की महबूबा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

क्रिकेट मैच

साग़र ख़य्यामी

पेन-ड्राईव

अहमद अल्वी

साइकल

आदिल लखनवी

इश्क़ का परचा

दिलावर फ़िगार

ओ देस से आने वाले बता

क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद

पैरोडी

अहमद अल्वी

क्रिकेट और मुशाइरा

दिलावर फ़िगार

औरतों की असेंबली

सय्यद ज़मीर जाफ़री

नया हाथी

रज़ा नक़वी वाही

शाइ'र की बीवी

खालिद इरफ़ान

चार बजे

राजा मेहदी अली ख़ाँ

मैं तिरा शहर

अहमद अल्वी

बीवी की अम्माँ

हम्माद हसन

सदा-ए-दरवेश

इनायत अली ख़ाँ

नवा है हम-नवा कोई नहीं है

मोहम्मद यूसुफ़ पापा

तेग़-ए-अबरू से वार करता है

मोहम्मद यूसुफ़ पापा

आदमी और जानवर

बाज़ग़ बिहारी

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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