ख़ुमार बाराबंकवी की टॉप 20 शायरी
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भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए
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मोहब्बत को समझना है तो नासेह ख़ुद मोहब्बत कर
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता
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