aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Jaan Hai To Jahaan Hai Pyaare! Meer Taqi Meer | Rekhta Studio
शब्दार्थ
मैं सोचता हूँ मगर याद कुछ नहीं आता
कि इख़्तिताम कहाँ ख़्वाब के सफ़र का हुआ
"तिलिस्म ख़त्म चलो आह-ए-बे-असर का हुआ" ग़ज़ल से की शहरयार
लखनऊ के मुम्ताज़ और नई राह बनाने वाले शायर/मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन