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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बहाना पर शेर

इक-आध बार तो जाँ वारनी ही पड़ती है

मोहब्बतें हों तो बनता नहीं बहाना कोई

साबिर ज़फ़र

क़ासिद को उस ने जाते ही रुख़्सत किया था लेक

बद-ज़ात माँदगी के बहाने से रह गया

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

बहाना ढूँडते रहते हैं कोई रोने का

हमें ये शौक़ है क्या आस्तीं भिगोने का

जावेद अख़्तर

मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारे

मिरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना

जिगर मुरादाबादी

उठाया उस ने बीड़ा क़त्ल का कुछ दिल में ठाना है

चबाना पान का भी ख़ूँ बहाने का बहाना है

मर्दान अली खां राना

जुस्तुजू जिस की थी उस को तो पाया हम ने

इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने

शहरयार

यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना

तिरी याद तो बन गई इक बहाना

साहिर लुधियानवी

अब किसी और तरफ़ बात घुमाने वाले

मैं समझती हूँ तिरी बात का मतलब समझे

कोमल जोया

वो पूछता था मिरी आँख भीगने का सबब

मुझे बहाना बनाना भी तो नहीं आया

वसीम बरेलवी

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं

तुझे हर बहाने से हम देखते हैं

दाग़ देहलवी

हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी कभी

हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है

इरफ़ान सिद्दीक़ी

कभी कभी अर्ज़-ए-ग़म की ख़ातिर हम इक बहाना भी चाहते हैं

जब आँसुओं से भरी हों आँखें तो मुस्कुराना भी चाहते हैं

सलाम मछली शहरी

शाइ'री झूट सही इश्क़ फ़साना ही सही

ज़िंदा रहने के लिए कोई बहाना ही सही

समीना राजा

ख़मोशी मेरी लय में गुनगुनाना चाहती है

किसी से बात करने का बहाना चाहती है

अब्दुर रऊफ़ उरूज

सताया आज मुनासिब जगह पे बारिश ने

इसी बहाने ठहर जाएँ उस का घर है यहाँ

इक़बाल अशहर कुरैशी

किसी के एक इशारे में किस को क्या मिला

बशर को ज़ीस्त मिली मौत को बहाना मिला

फ़ानी बदायुनी

पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था

तिरे बहाने हमें इंतिज़ार अपना था

अब्बास ताबिश

वो बे-ख़ुदी थी मोहब्बत की बे-रुख़ी तो थी

पे उस को तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ को इक बहाना हुआ

सलीम अहमद

सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है

हँसता चेहरा एक बहाना लगता है

कैफ़ भोपाली

कोई सदा कोई आवाज़ा-ए-जरस ही सही

कोई बहाना कि हम जाँ निसार करते रहें

कबीर अजमल

बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए

हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते

मजरूह सुल्तानपुरी

बहाना मिल जाए बिजलियों को टूट पड़ने का

कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते

असर लखनवी

किसी के जौर-ओ-सितम का तो इक बहाना था

हमारे दिल को बहर-हाल टूट जाना था

नरेश कुमार शाद

जुनूँ का कोई फ़साना तो हाथ आने दो

मैं रो पड़ूँगा बहाना तो हाथ आने दो

ख़ालिद मलिक साहिल

तलाश एक बहाना था ख़ाक उड़ाने का

पता चला कि हमें जुस्तुजू-ए-यार थी

ज़ेब ग़ौरी

जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें

ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही

अमजद इस्लाम अमजद

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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