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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

दुनिया पर २० मशहूर शेर

दुनिया को हम सबने अपनी

अपनी आँख से देखा और बर्ता है इस अमल में बहुत कुछ हमारा अपना है जो किसी और का नहीं और बहुत कुछ हमसे छूट गया है। दुनिया को मौज़ू बनाने वाले इस ख़ूबसूरत शेरी इन्तिख़ाब को पढ़ कर आप दुनिया से वाबस्ता ऐसे इसरार से वाक़िफ़ होंगे जिन तक रसाई सिर्फ़ तख़्लीक़ी अज़हान ही का मुक़द्दर है। इन अशआर को पढ़ कर आप दुनियाँ को एक बड़े सियाक़ में देखने के अहल होंगे।

टॉप 20 सीरीज़

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं

मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे

बशीर बद्र

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

निदा फ़ाज़ली

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी

तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम

जौन एलिया

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे

मिर्ज़ा ग़ालिब

चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय

नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है

शहाब जाफ़री

दुनिया ने तजरबात हवादिस की शक्ल में

जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं

साहिर लुधियानवी

दुनिया तो चाहती है यूँही फ़ासले रहें

दुनिया के मश्वरों पे जा उस गली में चल

हबीब जालिब

बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना

तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है

असरार-उल-हक़ मजाज़

थोड़ी सी अक़्ल लाए थे हम भी मगर 'अदम'

दुनिया के हादसात ने दीवाना कर दिया

अब्दुल हमीद अदम

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया

बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया

निदा फ़ाज़ली

हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत

फिर भी दोस्त तिरी एक नज़र से कम है

इदरीस बाबर

रास आने लगी दुनिया तो कहा दिल ने कि जा

अब तुझे दर्द की दौलत नहीं मिलने वाली

इफ़्तिख़ार आरिफ़

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा

एक ही रंग है दुनिया को जिधर से देखा

असअ'द बदायुनी

दुनिया बहुत ख़राब है जा-ए-गुज़र नहीं

बिस्तर उठाओ रहने के क़ाबिल ये घर नहीं

लाला माधव राम जौहर

दुनिया मिरे पड़ोस में आबाद है मगर

मेरी दुआ-सलाम नहीं उस ज़लील से

अहमद जावेद

दुनिया बस इस से और ज़ियादा नहीं है कुछ

कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

दुनिया पसंद आने लगी दिल को अब बहुत

समझो कि अब ये बाग़ भी मुरझाने वाला है

जमाल एहसानी

कैसे सकती है ऐसी दिल-नशीं दुनिया को मौत

कौन कहता है कि ये सब कुछ फ़ना हो जाएगा

अहमद मुश्ताक़

दुनिया तो है दुनिया कि वो दुश्मन है सदा की

सौ बार तिरे इश्क़ में हम ख़ुद से लड़े हैं

जलील ’आली’

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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