Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

धोखा पर शेर

माशूक़ की एक सिफ़त उस

का फ़रेबी होना भी है। वो हर मआमले में धोखे-बाज़ साबित होता है। वस्ल का वादा करता है लेकिन कभी वफ़ा नहीं करता है। यहाँ माशूक़ के फ़रेब की मुख़्तलिफ़ शक्लों को मौज़ू बनाने वाले कुछ शेरों का इन्तिख़ाब हम पेश कर रहे हैं इन्हें पढ़िये और माशूक़ की उन चालाकियों से लुत्फ़ उठाइये।

टॉप 20 सीरीज़

दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं

दोस्तों की मेहरबानी चाहिए

अब्दुल हमीद अदम

वो ज़हर देता तो सब की निगह में जाता

सो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ दीं

अख़्तर नज़्मी

तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं

हम भी सादा हैं इसी चाल में जाते हैं

अफ़ज़ल ख़ान

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं

ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका

फ़िराक़ गोरखपुरी

ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला

मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ

ज़ेब ग़ौरी

मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था

इस वास्ते अपनों से मोहब्बत नहीं करते

साक़ी फ़ारुक़ी

जो उन मासूम आँखों ने दिए थे

वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

आदमी जान के खाता है मोहब्बत में फ़रेब

ख़ुद-फ़रेबी ही मोहब्बत का सिला हो जैसे

इक़बाल अज़ीम

धोका था निगाहों का मगर ख़ूब था धोका

मुझ को तिरी नज़रों में मोहब्बत नज़र आई

शौकत थानवी

अहबाब को दे रहा हूँ धोका

चेहरे पे ख़ुशी सजा रहा हूँ

क़तील शिफ़ाई

इक बरस भी अभी नहीं गुज़रा

कितनी जल्दी बदल गए चेहरे

कैफ़ अहमद सिद्दीकी

यार मैं इतना भूका हूँ

धोका भी खा लेता हूँ

अक्स समस्तीपुरी

मुझ को फ़रेब देने वाले

मैं तुझ पे यक़ीन कर चुका हूँ

अतहर नफ़ीस

हर-चंद ए'तिबार में धोके भी हैं मगर

ये तो नहीं किसी पे भरोसा किया जाए

जाँ निसार अख़्तर

किस ने वफ़ा के नाम पे धोका दिया मुझे

किस से कहूँ कि मेरा गुनहगार कौन है

नजीब अहमद

ऐसे मिला है हम से शनासा कभी था

वो यूँ बदल ही जाएगा सोचा कभी था

ख़ुमार फ़ारूक़ी

उस को भी मेरी तरह अपनी वफ़ा पर था यक़ीं

वो भी शायद इसी धोके में मिला था मुझ को

भारत भूषण पन्त

जो बात दिल में थी उस से नहीं कही हम ने

वफ़ा के नाम से वो भी फ़रेब खा जाता

अज़ीज़ हामिद मदनी

ढूँढती है इज़्तिराब-ए-शौक़ की दुनिया मुझे

आप ने महफ़िल से उठवा कर कहाँ रक्खा मुझे

नातिक़ गुलावठी

Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar

Register for free
बोलिए