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रद करें डाउनलोड शेर

चित्र शायरी

चित्र शायरी का यह पहला ऐसा ऑनलाइन संकलन है जिसमें हज़ारों ख़ूबसूरत शेरों को उनके अर्थ के अनुकूल चित्रों के साथ पेश किया गया है. यह आकर्षक प्रस्तुति न सिर्फ़ शेर को समझने में सहायक होगी बल्कि इसके द्वारा अर्थ के विभिन्न अभिप्राय तक पहुंचना भी संभव हो सकेगा. इन शेरों को पढ़िए, देखिए, और शेर-प्रेमियों के साथ साझा कीजिए.

मौत का एक दिन मुअय्यन है

नींद क्यूँ रात भर नहीं आती

व्याख्या

इस शे’र की गिनती ग़ालिब के मशहूर अशआर में होती है। इस शे’र में ग़ालिब ने ख़ूब सारे संदर्भों का इस्तेमाल किया है, जैसे दिन के अनुरूप रात, मौत के संदर्भ से नींद। इस शे’र में ग़ालिब ने मानव मनोविज्ञान के एक अहम पहलू से पर्दा उठाकर एक नाज़ुक विषय स्थापित किया है। शे’र के शाब्दिक अर्थ तो ये हैं कि जबकि अल्लाह ने हर प्राणी की मौत का एक दिन निर्धारित किया है और मैं भी इस तथ्य से अच्छी तरह वाक़िफ़ हूँ, फिर मुझे रात भर नींद क्यों नहीं आती। ध्यान देने की बात ये है कि नींद को मौत का ही एक रूप माना जाता है। शे’र में ये रियायत भी ख़ूब है। मगर शे’र में जो परतें हैं उसकी तरफ़ पाठक का ध्यान तुरंत नहीं जाता। दरअसल ग़ालिब कहना चाहते हैं कि हालांकि अल्लाह ने मौत का एक दिन निर्धारित कर रखा है और मैं इस हक़ीक़त से वाक़िफ़ हूँ कि एक एक दिन मौत आही जाएगी फिर मौत के खटके से मुझे सारी रात नींद क्यों नहीं आती। अर्थात मौत का डर मुझे सोने क्यों नहीं देता।

शफ़क़ सुपुरी

व्याख्या

इस शे’र की गिनती ग़ालिब के मशहूर अशआर में होती है। इस शे’र में ग़ालिब ने ख़ूब सारे संदर्भों का इस्तेमाल किया है, जैसे दिन के अनुरूप रात, मौत के संदर्भ से नींद। इस शे’र में ग़ालिब ने मानव मनोविज्ञान के एक अहम पहलू से पर्दा उठाकर एक नाज़ुक विषय स्थापित किया है। शे’र के शाब्दिक अर्थ तो ये हैं कि जबकि अल्लाह ने हर प्राणी की मौत का एक दिन निर्धारित किया है और मैं भी इस तथ्य से अच्छी तरह वाक़िफ़ हूँ, फिर मुझे रात भर नींद क्यों नहीं आती। ध्यान देने की बात ये है कि नींद को मौत का ही एक रूप माना जाता है। शे’र में ये रियायत भी ख़ूब है। मगर शे’र में जो परतें हैं उसकी तरफ़ पाठक का ध्यान तुरंत नहीं जाता। दरअसल ग़ालिब कहना चाहते हैं कि हालांकि अल्लाह ने मौत का एक दिन निर्धारित कर रखा है और मैं इस हक़ीक़त से वाक़िफ़ हूँ कि एक एक दिन मौत आही जाएगी फिर मौत के खटके से मुझे सारी रात नींद क्यों नहीं आती। अर्थात मौत का डर मुझे सोने क्यों नहीं देता।

शफ़क़ सुपुरी

मिर्ज़ा ग़ालिब

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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