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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अब्र पर शेर

ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे

तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है

शकेब जलाली

बरसात का मज़ा तिरे गेसू दिखा गए

अक्स आसमान पर जो पड़ा अब्र छा गए

लाला माधव राम जौहर

सब्ज़ा गुल कहाँ से आए हैं

अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है

मिर्ज़ा ग़ालिब

गो बरसती नहीं सदा आँखें

अब्र तो बारा मास होता है

गुलज़ार

अब्र बरसे तो इनायत उस की

शाख़ तो सिर्फ़ दुआ करती है

परवीन शाकिर

या अब्र-ए-करम बन के बरस ख़ुश्क ज़मीं पर

या प्यास के सहरा में मुझे जीना सिखा दे

वज़ीर आग़ा

उट्ठा जो अब्र दिल की उमंगें चमक उठीं

लहराईं बिजलियाँ तो मैं लहरा के पी गया

एहसान दानिश

फ़लक पर उड़ते जाते बादलों को देखता हूँ मैं

हवा कहती है मुझ से ये तमाशा कैसा लगता है

अब्दुल हमीद

दुआएँ माँगी हैं साक़ी ने खोल कर ज़ुल्फ़ें

बसान-ए-दस्त-ए-करम अब्र-ए-दजला-बार बरस

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

हम ने बरसात के मौसम में जो चाही तौबा

अब्र इस ज़ोर से गरजा कि इलाही तौबा

अज्ञात

गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूँदें

कोई बदली तिरी पाज़ेब से टकराई है

क़तील शिफ़ाई

अब्र की तीरगी में हम को तो

सूझता कुछ नहीं सिवाए शराब

मीर मेहदी मजरूह

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए

इस के ब'अद आए जो अज़ाब आए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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