दीवानगी शायरी
इश्क़ में हासिल होने वाली दीवानगी सबसे पाक दीवानगी है आप इस दीवानगी की थोड़ी बहुत मिक़दार से ज़रूर गुज़रें होंगे, लेकिन ये सब हमारे और आप के तजुर्बात हैं और यादें हैं। इन यादों और उन तजुर्बात को लफ़्ज़ों में मचलता और फड़कता हुआ देखने के लिए हमारे इस शेरी इंतिख़ाब को पढ़िए।
सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैं
अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
twas a good thing that my madness was to some avail
else, for my state, what other reason could the world I show?
रोएँ न अभी अहल-ए-नज़र हाल पे मेरे
होना है अभी मुझ को ख़राब और ज़ियादा
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं
हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं
जैसे बच्चे किसी त्यौहार में गुम हो जाएँ
कभू रोना कभू हँसना कभू हैरान हो जाना
मोहब्बत क्या भले-चंगे को दीवाना बनाती है
laughing, crying and at times spouting inanity
passion does render a wise person to insanity
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई
पहले मैं दीवाना था और अब हैं दीवाने कई
in a madman, people come, to sanity imbue
I was the only lunatic, now there're quite a few
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया
तरह तरह से हमें ज़िंदगी ने लूट लिया
मैं आ गया हूँ वहाँ तक तिरी तमन्ना में
जहाँ से कोई भी इम्कान-ए-वापसी न रहे
खुली न मुझ पे भी दीवानगी मिरी बरसों
मिरे जुनून की शोहरत तिरे बयाँ से हुई
नई मुश्किल कोई दरपेश हर मुश्किल से आगे है
सफ़र दीवानगी का इश्क़ की मंज़िल से आगे है
ऐन दानाई है 'नासिख़' इश्क़ में दीवानगी
आप सौदाई हैं जो कहते हैं सौदाई मुझे
दिल के मुआमले में मुझे दख़्ल कुछ नहीं
इस के मिज़ाज में जिधर आए उधर रहे
कर गई दीवानगी हम को बरी हर जुर्म से
चाक-दामानी से अपनी पाक-दामानी हुई