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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

आब दीदा पर शेर

उदासी खींच लाई है यहाँ तक

मैं आँसू था समुंदर में पड़ा हूँ

अंजुम सलीमी

तूफ़ाँ उठा रहा है मिरे दिल में सैल-ए-अश्क

वो दिन ख़ुदा लाए जो मैं आब-दीदा हूँ

नज़ीर अकबराबादी

उन की याद में बहते आँसू ख़ुश्क अगर हो जाएँगे

सात समुंदर अपनी ख़ाली आँखों में भर लाऊँगा

सादिक़

रोने तलक तो किस को है फ़ुर्सत यहाँ सहाब

तूफ़ाँ हुआ भी जो टुक इक आब-दीदा हूँ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

तूफ़ान-ए-जहल ने मिरा जौहर मिटा दिया

मैं इक किताब ख़ूब हूँ पर आब-दीदा हूँ

मीर मेहदी मजरूह

क्यूँ खिलौने टूटने पर आब-दीदा हो गए

अब तुम्हें हम क्या बताएँ क्या परेशानी हुई

आशुफ़्ता चंगेज़ी

वाँ सज्दा-ए-नियाज़ की मिट्टी ख़राब है

जब तक कि आब-ए-दीदा से ताज़ा वज़ू हो

इस्माइल मेरठी

ऐसी क्या बीत गई मुझ पे कि जिस के बाइस

आब-दीदा हैं मिरे हँसने हँसाने वाले

अंजुम सलीमी

झिलमिलाते रहे वो ख़्वाब जो पूरे हुए

दर्द बेदार टपकता रहा आँसू आँसू

अहमद मुश्ताक़

सकिनान-ए-चर्ख़-ए-मुअल्ला बचो बचो

तूफ़ाँ हुआ बुलंद मिरे आब-दीदा का

नसीम देहलवी

वहाँ अब ख़्वाब-गाहें बन गई हैं

उठे थे आब-दीदा हम जहाँ से

रसा चुग़ताई

दोस्त तुझ को रहम आए तो क्या करूँ

दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है

लाला माधव राम जौहर

हम तेरी तबीअत को 'ख़ुर्शीद' नहीं समझे

पत्थर नज़र आता था रोया तो बहुत रोया

ख़ुर्शीद रिज़वी

वक़्त-ए-रुख़्सत आब-दीदा आप क्यूँ हैं

जिस्म से तो जाँ हमारी जा रही है

अज़्म शाकरी

आब-दीदा हूँ मैं ख़ुद ज़ख़्म-ए-जिगर से अपने

तेरी आँखों में छुपा दर्द कहाँ से देखूँ

मोहम्मद असदुल्लाह

कौन उठ गया है पास से मेरे जो 'मुसहफ़ी'

रोता हूँ ज़ार ज़ार पड़ा आब-दीदा हूँ

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

रोना है अगर यही तो 'क़ाएम'

इक ख़ल्क़ को हम डुबा रहे हैं

क़ाएम चाँदपुरी

ये आब-दीदा ठहर जाए झील की सूरत

कि एक चाँद का टुकड़ा नहाना चाहता है

मुस्तफ़ा शहाब

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं

फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं

फ़रहत एहसास

कपड़े गले के मेरे हों आब-दीदा क्यूँ

मानिंद-ए-अब्र दीदा-ए-तर अब तो छा गया

मीर तक़ी मीर

हम इश्क़ तेरे हाथ से क्या क्या देखीं हालतें

देख आब-दीदा ख़ूँ हो ख़ून-ए-जिगर पानी कर

मिर्ज़ा अज़फ़री

सैलाब-ए-चश्म-ए-तर से ज़माना ख़राब है

शिकवे कहाँ कहाँ हैं मिरे आब-दीदा के

नसीम देहलवी

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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