दोहे
दोहा हिंदी शायरी की विधा है जो अब एक काव्य-परम्परा के तौर पर उर्दू में भी स्थापित हो गई है। हर दोहे में दो लाइनें होती हैं और हर लाइन में मात्राओं की संख्या 24 होती है। हर लाइन के दो हिस्से होते हैं जिनमें से एक हिस्से में 13 और दूसरे हिस्से में 11 मात्राएँ होती हैं, और दोनों के बीच एक हल्का सा ठहराव होता है।
शायर और लेखक, बच्चों के साहित्य पर अपने आलोचनात्मक और शोधपूर्ण कार्य के लिए प्रसिद्ध
सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध
प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायरा, अपने स्त्री-वादी विचारों और धार्मिक कट्टरता के विरोध के लिए विख्यात
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित, उर्दू में दलित विशर्ष दाखिल करने वाले पहले शायर
महत्वपूर्ण आधुनिक शायर और फ़िल्म गीतकार। अपनी ग़ज़ल ' कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ' के लिए प्रसिद्ध
शायर,शोधकर्ता और अनुवादक/ग़ालिब के फ़ारसी पत्रों के उर्दू अनुवाद और अपने ''दोहे'' के लिए प्रसिद्ध
प्रमुख लोकप्रिय शायर जिन्हें ‘उत्साही’ का उपनाम जवाहर लाल नेहरू ने दिया था/उर्दू शायरी को हिंदी के क़रीब लाने के लिए विख्यात
पाकिस्तान के आग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात/फि़ल्मों के लिए गीत भी लिखे