दोहे

दोहा हिंदी शायरी की विधा है जो अब एक काव्य-परम्परा के तौर पर उर्दू में भी स्थापित हो गई है। हर दोहे में दो लाइनें होती हैं और हर लाइन में मात्राओं की संख्या 24 होती है। हर लाइन के दो हिस्से होते हैं जिनमें से एक हिस्से में 13 और दूसरे हिस्से में 11 मात्राएँ होती हैं, और दोनों के बीच एक हल्का सा ठहराव होता है।

प्रसिद्ध शायर और आलोचक

1956

पाकिस्तानी शायर, प्रचलित काव्य विधाओं में नये रचनात्मक प्रयोग किये

1962

शायर और लेखक, बच्चों के साहित्य पर अपने आलोचनात्मक और शोधपूर्ण कार्य के लिए प्रसिद्ध

1951

फिल्म 'कहो ना प्यार है' के गीतों के लिए मशहूर।

1919 -2001

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध

1940

पाकिस्तानी शायरा , अपने स्त्री-वादी विचारों और धार्मिक कट्टरपन के विरोध के लिए मशहूर

1935 -2017

अग्रणी प्रगतिशील शायर।

1925 -2015

अपने दोहों के लिए मशहूर।

1955

साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित, उर्दू में दलित विशर्ष दाखिल करने वाले पहले शायर

1938 -2016

महत्वपूर्ण आधुनिक शायर और फ़िल्म गीतकार। अपनी ग़ज़ल ' कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ' के लिए प्रसिद्ध

1932 -2016

शायर,शोधकर्ता और अनुवादक/ग़ालिब के फ़ारसी पत्रों के उर्दू अनुवाद और अपने ''दोहे'' के लिए प्रसिद्ध

1930 -2016

प्रमुख लोकप्रिय शायर जिन्हें ‘उत्साही’ का उपनाम जवाहर लाल नेहरू ने दिया था/उर्दू शायरी को हिंदी के क़रीब लाने के लिए विख्यात

1927

सीमाब अकबराबादी के शागिर्द, नज़्मों और ग़ज़लों के कई संग्रह प्रकाशित हुए

1932 -2020

मशहूर शायर, अपने दोहों के लिए जाने जाते हैं

1938 -2010

प्रमुख आधुनिक शायर / पत्रिका तहरीक से संबंधित थे

1928 -2006

पाकिस्तान के आग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात/फि़ल्मों के लिए गीत भी लिखे

1936 -2012

अग्रणी आधुनिक उर्दू शायरों में शामिल। फ़िल्म गीतकार , ' फ़िल्म उमराव जान ' , के गीतों के लिए प्रसिद्ध। भारतीय ज्ञान पीठ एवार्ड से सम्मानित

1949

भारतीय संगीत के विद्वान और संगीतकार।

1947

महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक शायर, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए